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माला हों या मायाजाल, ममता हो या मेह्जबीन का आँचल...
वोह जो हम में तुम में करार था
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वो ही यँनी वाडा निबाह का
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वो नये गीले वो शिकायतें
वो मज़े मज़े की हिकायतें
वो हर एक बात पे रूठना
तुम्हे याद हो के ना याद हो
कभी हम मे तूमे मे भी चाह थी
कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम से थे आशना
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वोह जो हम में तुम में करार था
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वो ही यँनी वाडा निबाह का
तुम्हे याद हो के ना याद हो
वो नये गीले वो शिकायतें
वो मज़े मज़े की हिकायतें
वो हर एक बात पे रूठना
तुम्हे याद हो के ना याद हो
कभी हम मे तूमे मे भी चाह थी
कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम से थे आशना
तुम्हे याद हो के ना याद हो
October 5, 2010 at 3:01:00 PM GMT+5:30
Very Nice.
Thanks
October 5, 2010 at 3:03:00 PM GMT+5:30
nice one
October 5, 2010 at 3:03:00 PM GMT+5:30
awesome shayar Momin !
October 5, 2010 at 3:03:00 PM GMT+5:30
Hey Abhi awesome, i cant believe u wrote tht..after all these yrs...Do I read something between the lines...??take care...
October 5, 2010 at 3:04:00 PM GMT+5:30
me too mamta
October 5, 2010 at 3:04:00 PM GMT+5:30
lol..Smitaaaaaaaaaa
April 25, 2011 at 8:53:00 PM GMT+5:30
kya baat hai sir.....