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हम तो यूँ अपनी ज़िंदगी से मिले
अजनबी जैसे अजनबी से मिले
हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरूख़ी से मिले
फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग ही दाग ज़िंदगी से मिले
जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ ना आदमी से मिले
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शायर : सुदर्शन फकीर
फनकार : शोभा गुर्टु
अजनबी जैसे अजनबी से मिले
हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरूख़ी से मिले
फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग ही दाग ज़िंदगी से मिले
जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ ना आदमी से मिले
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शायर : सुदर्शन फकीर
फनकार : शोभा गुर्टु
May 25, 2012 at 5:51:00 PM GMT+5:30
आप ने फुल नही मांगे कभी पर
आप के फुल जैसे मन को जान कर
हम ने फूल रखे आप के पाँव् पर
May 25, 2012 at 10:06:00 PM GMT+5:30
very exellent
May 25, 2012 at 10:06:00 PM GMT+5:30
:))
May 25, 2012 at 10:07:00 PM GMT+5:30
Superb....
May 26, 2012 at 10:15:00 AM GMT+5:30
Kya baat hai...Shobha Gurtu ki awaaz bahot din baad sunn rahey hain....extremely nostalgic
May 26, 2012 at 10:15:00 AM GMT+5:30
fabulous
May 26, 2012 at 2:13:00 PM GMT+5:30
Aahahaha !
May 26, 2012 at 2:13:00 PM GMT+5:30
Thanks Abhida!