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ये करे और वो करेऐसा करे वैसा करे,
जिंदगी दो दिन कि हैं दो दिन मैं हम क्या क्या करे
जी में आता हैं की दे पर्दे का जवाब,
हम से वो परदा करें दुनियाँ से हम परदा करें
सुन रहा हूँ कुछ लुटेरे आ गायें हैं शेहेर मैं,
आप जल्दी बाँध अपने घर का दरवाजा करे
इस पुरानी बेवफ़ा दुनियाँ का रोना कब तलक,
आईने मिल-जुल के इस दुनियाँ नया पैदा करे
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शायर : शकेब जलाली
मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ और चित्र सिंघ
August 6, 2012 at 4:32:00 PM GMT+5:30
क्या बात है...आहा...उमदा!
August 6, 2012 at 4:33:00 PM GMT+5:30
Jahan pyar hi pyaar paley.....
August 6, 2012 at 4:33:00 PM GMT+5:30
are vah.. ab to kavi bhi ban gaye..
August 6, 2012 at 4:34:00 PM GMT+5:30
kyaa baat hai.
August 6, 2012 at 4:35:00 PM GMT+5:30
KYA BAAT HAI
August 6, 2012 at 5:09:00 PM GMT+5:30
I m loving it......& will love his songs always
August 7, 2012 at 2:03:00 PM GMT+5:30
thanks for the share
September 11, 2012 at 3:36:00 PM GMT+5:30
excellent.