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तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक्त आएगा वही शक्स मसीहा होगा
ख्वाब देखा था के सेकर में बसेरा होगा,
क्या खबर थी की यही ख्वाब तो सच्चा होगा
मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा
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मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ
तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक्त आएगा वही शक्स मसीहा होगा
ख्वाब देखा था के सेकर में बसेरा होगा,
क्या खबर थी की यही ख्वाब तो सच्चा होगा
मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा
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मौसिकार : जगजीत सिंघ
फनकार : जगजीत सिंघ
August 6, 2012 at 6:07:00 PM GMT+5:30
wah........ meaningful lyrics (esp. the last 2 lines), melodious music n singing and soothing video ......... fantastic combination .......... sharing this
August 7, 2012 at 11:32:00 AM GMT+5:30
Sahi ! nice vedio too!
August 7, 2012 at 11:32:00 AM GMT+5:30
OMG.....GOOSE BUMPS........!!!!!!!!
August 7, 2012 at 11:32:00 AM GMT+5:30
wahhh nice song...
August 9, 2012 at 3:04:00 PM GMT+5:30
Thanks. Heard after a long time.
August 10, 2012 at 12:27:00 PM GMT+5:30
nice song... I love jagjit singh... thnx abhi..
August 10, 2012 at 2:25:00 PM GMT+5:30
thanks a lot....
December 1, 2012 at 11:21:00 PM GMT+5:30
मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊँगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा........
सुंदर गझल और सुंदर ग्राफिक्स
December 1, 2012 at 11:22:00 PM GMT+5:30
True, wt about Dungar.
December 1, 2012 at 11:23:00 PM GMT+5:30
हाहाहाहा...........अभी तो "'उस" नगर का राजा है :-)
December 1, 2012 at 11:40:00 PM GMT+5:30
फ़िलहाल.... हम हैं डूंगर के उस पर......!!!
December 1, 2012 at 11:41:00 PM GMT+5:30
Hw is life,no news apart from Dungarpur.
December 1, 2012 at 11:42:00 PM GMT+5:30
life is very gradually settling at such a dry place. no personal time
December 1, 2012 at 11:42:00 PM GMT+5:30
सोचते और जागते साँसों का एक ल़हेरा हूँ मैं,
अपने गुलदस्ता किनरो के लिए बेहेता हूँ मैं
December 2, 2012 at 5:17:00 PM GMT+5:30
asha hai