Essential for Every INDIAN

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...such are applied to all SOCIAL-POLITICAL-INDIVIDUAL India, and critically tilted toward vote bank politics and politicians.

थांबै दुखांच्यो माळा

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गीत : बाकिबाब बोरकार
संगीत : पंडित जितेंद्र अभिषेकी
स्वर : अजीत कडकडे

भेट तुझी माझी स्मरते

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भेट तुझी माझी स्मरते, अजून त्या दिसाची
धुंद वादळाची होती रात्र पावसाची

कुठे दिवा नव्हता, गगनी एकही न तारा
आंधळ्या तमातून वाहे, आंधळाच वारा
तुला मुळी नव्हती बाधा, भितीच्या विषाची

क्षुद्र लौकिकाची खोटी झुगारुन नीती
नावगाव टाकून आली अशी तुझी प्रीती
तुला परी जाणिव नव्हती, तुझ्या साहसाची

केस चिंब ओले होते, थेंब तुझ्या गाली
ओठांवर माझ्या त्यांची किती फुले झाली
श्वासांनी लिहीली गाथा, प्रीतीच्या रसाची

सुगंधीच हळव्या शपथा, सुगंधीच श्वास
स्वप्नातच स्वप्न दिसावे तसे सर्व भास
सुखालाही भोवळ आली मधुर सुवासाची
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गीतकार: मंगेश पाडगांवकर
गायक: अरुण दाते
संगीतकार: यशवंत देव

राग छायानट

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ल्हान असली जरीवाट...

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कवी : डॉ. भिकाजी घाणेकार
संगीत : पंडित जितेंद्र अभिषेकी
स्वर : अजित कडकडे

सखी मंद झाल्या तारका

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सखी मंद झाल्या तारका, आता तरी येशील का ?

मधुरात्र मंथर देखणी, आला तशी सुनी
हा प्रहर अंतिम राहिला, त्या अर्थ तू देशील का ?

हृदयात आहे प्रीत अन् ओठात आहे गीतही
ते प्रेमगाणे छेडणारा, सूर तू होशील का ?

जे जे हवेसे जीवनी, ते सर्व आहे लाभले
तरीही उरे काही उणे, तू पूर्तता होशील का ?

बोलावल्यावाचूनही मृत्यु जारी आला इथे
थांबेल तोही पळबरी, पण सांग तू येशील का ?
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गीत : सुधीर मोधे
संगीत : राम फाटक
स्वर : पंडित भिसेन जोशी (पुणे आकाशवाणीवरील प्रथम प्रसारण)

बात करनी मुझे...

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बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब हैं तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी

ले गया छ्चीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार
बेक़रारी तुझे आई दिल कभी ऐसी तो न थी

चश्म-ए-क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन
जैसे अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी

उन की आँखों ने खुदा जाने किया क्या जादू
के तबीयत मेरी मया_इल कभी ऐसी तो न थी

अक्स-ए-रुख्ह-ए-यार ने किस से है तुझे चमकाया
तब तुझ में माह-ए-कामिल कभी ऐसी तो न थी

क्या सबब तू जो बिगड़ता है “ज़फ़र” से हर बार
खु तेरी हूर-ए-शमा_इल कभी ऐसी तो न थी
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शायर : बहादुर शाह ज़फ़र
फनकार : मेहदी हसन

गोजाली

सोबित सौनसार

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संपली कहाणी माझी

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गीत : शांता शेळके
गायक : सुधीर फडके
संगीत : सुधीर फडके

रिश्ता

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रिश्ता क्या है तेरा मेरा, मैं हूं शब और तू है सवेरा

तू है चाँद सीटोरोँ जैसा, मेरी किस्मत घोर अंधेरा

फूलों जैसे राहें तेरी, काटो जैसा मेरा डेरा

आता जाता है ए जीवन, पल-दो-पल का रैन बसेरा

(*ऎ मेरी मेहजबीन*)

अवेळीच केव्हा दाटला अंधार

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अवेळीच केव्हा दाटला अंधार
तिच्या गळा जड झाले काळे सर
एकदा मी तिच्या डोळ्यात पाहिले
हासताना नभ कळून गेले

पुन्हा मी पाहिले तिला अंगभर
तिच्या कासोळीला चांदण्याचा जर
आणि माझा मला पडला विसर
मिटीत थरके भरातील ज्वार

कितीक दिसांची पुन्हा ती भेटली
तिच्या ओटी कुण्या राव्याची साउली
त्या डोळियात जरा मी पाहिले
काजळात चंद्र पुडून गेले
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गीत : ना. धो. महानोर
संगीत व स्वर : श्रीधर फडके


सलाम कीजिए

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कोइना हो या सोनिया हो
ममता की आंचल हो या मायावती जाल...

उन्हे सलाम कीजिए !!!

ओ मृगनयनी चंद्रमुखी


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ओ मृग नयनी चंद्र मुखी, मैं हु तेरा प्रेम दिवाना
सून रतीय मन बतिया मेरे ओ सून रतिया मेरे
मुझे तू भूल ना जाना आ आ आ आ आ ........
मृग नयनी चान्रामुखी
जब जब मेरे नैनो से उलझे मद भर तेरे नैना
तब तब मन मै मेहेक उठे पहले सुहाग की रैना
आ आ आ आ आ आ
मृग नयनी चंद्र मुखी ....
आरमा याही है हाथो से तेरे पान सदा खाऊ रे
तेरी बाहो मी सांस लु मैं चरणो पे मर जाऊ रे
ओ मेरी जान फिर ऐसी कभी बात जुबान पे ना लाना २
साथ जिए है साथ मरेंगे गाते गाते गाना
मृग नयनी चंद्र मुखी ....
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चलचित्र : रंग बिरंगी
डाइरेक्टर : हृषिकेश मुखेर्जी
संगीतकार : राहुल देव बर्मन
गीतकार : योगेश
स्वर : डॉक्टर. वसंतराव देशपांडे और फ़ैयाज़

हंगामा

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When I first heard ghazals I knew only Pankaj Udaas. But during the time of Marathi Sahitya Sammhelan, on the pave lawn of Kala Academy in Panaji, the chairperson was (at that time) Ranjit Desai. He and his wife, Madhavi Desai, were staying at Hotel Samraat in Panaji. During that period, he noticed that I was hearing the ghazals sung by Pankaj Udaas on my walkman player. He told me to stop it and gave me a different ghazal cassette instead. I realized that my perspective of ghazals voluminously changed and that too entirely. Here is the first that I heard, cherished, enjoyed and shared with all who will love it too, sung and composed by nun other the Ghulaam Ali !!!
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हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नही की है

ना-तजुर्बाकारी से वाइज़ की ये बातें है
इस रंग को क्या जाने पुउछो तो कभी पी है

उस मई से नहिी.न मतलब दिल जिस से हो बेगाना
मक़सूद है उस मई से दिल ही में जो खिचकी है

वह दिल में की सदमे दो या जी में के सब सह लो
उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है

हर ज़र्रा चमकता हैं अंवार-ए-इलाही से
हर साँस ये कहती हैं हम हैं तो खुदा भी हैं

सूरज में लगे धब्बा फितरत के करिश्मे हैं
बुत हम को कहें काफ़िर अल्लाह की मर्ज़ी हैं
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शायर : अकबर अल्लहाबादी
फ़नकार: गुलाम अली


"मौसम" का दूसरा पेहेलू

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दिल डूंडता हैं फिर वही फुर्सत के रात दिल
बैठे राहे तसव्वुर-ए-जाना कीये हुए....
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गीतकार: गुलझार
संगीतकार: मदन मोहन
स्वर: भुपेंदर और लता मंगेशकर
निदेशक: गुलझार
चलचित्र: मौसम


चुपके चुपके रात दिन

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चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
उन्को अब तक आशिक़ुई का वोह जमाना याद है

खेंच ले ना वोह मेरा परदे का कोना दफ्फतन
और दुप्पटे से तेरा वोह मूह छुपाना याद है

दो पहेर की धूप में मेरे बुलाने के लिये
वोह तेरा कोठे पे नन्गे पाव आना याद है

हुमको अब ताक आशिक़ुई का वोह जमाना याद है
चुपके चुपके रात दिन आंसू जमाना याद है
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چپکےچپکےرات دن آنسو بہانا یاد ہے
اُنکو اب تک آشکئی کا وہہ جمانا یاد ہے

کھینچ لےنا وہہ میرا پرد کا کونا دپھپھتن
اؤر دپپٹےسےتیرا وہہ موہ چھپانا یاد ہے

دو پہیر کی دھوپ میں میرےبلانےکےلیے
وہہ تیرا کوٹھےپےننگےپاو آنا یاد ہے

ہمکو اب تاک آشکئی کا وہہ جمانا یاد ہے
چپکےچپکےرات دن آنسو جمانا یاد ہے


दिये जलते हैं

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दिए जलते हैं, फूल खिलते हैं,
बड़ी मुश्किल से, मगर, दुनिया में दोस्त,
मिलते हैं, दिए जलते हैं

जब जिस वक़्त किसी का, प्यार जुड़ा होता है,
कुच्छ ना पूच्छो, यारों दिल का, हाल बुरा होता है,
दिल पे यादों के जैसे, तीर चलते हैं, अहन्हा

इस रंग रूप पे देखो, हरगिज़ नाज़ ना करना,
जान भी माँगे, यार तो देदे ना, नाराज़ ना करना,
रंग उड़ जाते हैं, धूप ढलते हैं

दौलत और जवानी, एक दिन खो जाती हैं,
सच कहता हून, सारी दुनिया, दुश्मन हो जाती है,
उम्र भर दोस्त लेकिन साथ चलते हैं
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जिनके होटो पे हसीं

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जिनके होंठों पे हँसी पाँव में छ्चाले होंगे
हां वोही लोग तुम्हें डून्डते वाले होंगे...
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गुलाम अली


सोचते और जागते...

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सोचते और जागते साँसों का एक दरिया हून मैं,
अपने गुलदस्ता किनरो के लिए बहता हू मैं

जल गया सारा बदन, इन मासूम की आग मे,
एक मासूम रूह का है, जिसमें अब ज़िंदा हू मैं

मेरे होंटो का तबसूम, दे गया धोका तुझे,
तुमने मुझको बाग जाना, देखले सहारा हू मैं.

देखे मेरी पजीराई को आब आता है कौन,
लम्हा भर तो वक़्त की, दहलीज़ पर आया हू मैं.
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फनकार / मौसीकार : गुलाम अली

ये न थी हमारी क़िस्मत

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ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
یہ نہ تھی ھماری کسمت کےوسال - ئی - یار ھوتا
(it was not in my fate to meet my lover)

अगर और जीते रहते यही इंतेज़ार होता
اَگر اور جیتےرہتےیہیانتیجار ھوتا
(had I lived longer, this would still be my only desire)

तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना
تیرےواد پر جئی ھم تو یہ جان جھوٹ جانا
(to live on your promise is to make my life a lie)

के खुशी से मार ना जाते अगर एइतबार होता
کےخوشی سےمار نا جاتےاگر ئیئتبار ھوتا
(would I not have died of happiness if i trusted it)

तेरी नाज़ुकी से जाना के बँधा था एहेड_बूड़ा
تیری ناجکی سےجانا کےبندھا تھا ئیہیڈ_بوڑا
(from your frailty I learn that the promise was delicate)

कभी तू ना तोर सकता अगर ऊस्तुवार होता
کبھی تو نا تور سکتا اگر اُوستوار ھوتا
(it would not stand broken had you been determined)

कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीम्कश को
کوئی میرےدل سےپوچھےتیرےتیر - ئی - نیمکش کو
(someone ask me about your half-drawn arrow)

ये खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
یہ کھلش کہاںسےھوتی جو جگر کےپار ھوتا
(would i even feel this pain if it had pierced my heart)

ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह
یہ کہاںکی دوستی ہے کےبنےہیں دوست ناسیہ
(what kind of friendship is this, that friends are now advisers)

कोई चारसाज़ होता, कोई घम्गुसार होता
کوئی چارساج ھوتا , کوئی گھمگسار ھوتا
(someone should ease my pain, someone sympathize with me)

राग-ए-संग से टपकता वो लहू की फिर ना थमता
راگ - ئی - سنگ سےٹپکتا وہ لہو کی پھر نا تھمتا
(from every nerve drips blood without restraint)

जिसे गम समझ रहे हो, ये अगर शरार होता
جسےگم سمجھ رہےھو , یہ اگر شرار ھوتا
(as if that which you think is anguish is but a spark)

गम अगरचे जान_गुलिस है, पेर कहाँ बचाईन के दिल है
گم اَگرچےجان_گلس ہے , پیر کہاںبچائین کےدل ہے
(threatening as love is, there is no deliverance from the heart)

गम-ए-इश्क़ गर ना होता, गम-ए-रोज़गार होता
گم - ئی -اشک گر نا ھوتا , گم - ئی - روزگار ھوتا
(if not the torment of love, it would be the torment of life)

कहूँ किस से मैं के क्या है, शब-ए-गम बुरी बला है
کہوںکس سےمیںکےکیا ہے , شب - ئی - گم بری بلا ہے
(whom shall I narrate the pangs of these evenings of sorrow)

मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता
مجھےکیا برا تھا مرنا اگر ایک بار ھوتا
(i would have not resented this death, had it come only once)

हुए मर के हम जो रुसवा, हुए क्यों ना घर्क़-ए-दरिया
ہوئی مر کےھم جو رسوا , ہوئے کیوںنا گھرک - ئی - دریا
(that I died and was disgraced, why was I not just drowned)

ना कभी जनाज़ा उठता, ना कहीं मज़ार होता
نا کبھی جناجا اُٹھتا , نا کہیںمجار ھوتا
(never was there a funeral, no where was a tomb erected)

उसे कौन देख सकता के यगाना है वो यकता
اُسےکون دیکھ سکتا کےیگانا ہے وہ یکتا
(who can see him since his Oneness is without peer)

जो डूई की बू भी होती तो कहीं दो चार होता
جو ڈوئی کی بو بھی ھوتی تو کہیںدو چار ھوتا
(even the scent of his duality would be an introduction)

ये मसायल-ए-तसव्वफ, ये तेरा बयान ग़ालिब
یہ مسایل - ئی - تسووپھ , یہ تیرا بیان گالب
(this mysticism, these statements of yours Ghalib)

तुझे हम वाली समझते, जो ना बाद-ख्वार होता
تجھےھم والی سمجھتے , جو نا بعد - کھوار ھوتا
(you would be a saint, if only you were not inebriated)
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साहिबा बेगम अक्तर




दुनियावालों

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या दिल की सुनो दुनियावालों
या मूज़ को अभी चूप रहने दो
मैं गम को खुशी कैसे कह दू
जो कहते हैं उनको कहने दो

ये फूल चमन में कैसा खिला
माली की नज़र में प्यार नही
हसते हुए क्या क्या देख लिया
अब बहते हैं आँसू बहाने दो

एक ख्वाब खुशी कॅया देखा नही
देखा जो कभी तो भूल गये
माँगा हुआ तुम कुच्छ दे ना सके
जो तुम ने दिया वो सहने दो

क्या दर्द किसी कॅया लेगा कोई
इतना तो किसी में दर्द नही
बहते हुए आँसू अओर बहे
अब आएसी तसल्ली रहने दो

एक ग़ज़ल दो परिप्रेक्ष्य अंदाज़



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जगजीत सिंग
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ग़ुलाम अली
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थोदासा हट के...

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हमीद आली खान
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कल चौदवी की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा यह चाँद है
कुछ ने कहा चेहरा तेरा

हम भी वहीं मौजूद थे
उन्से भी सब पूच्छा किए
हम भी वहीं मौजूद थे
हुंसे भी सब पूच्छा किए

हम हस दिए, हम चुप रहे
मंज़ूर था परदा तेरा
कल चौदवी की रात थी
इस शहेर में किससे मिले

उनसे तो छूती महफिलें
इस शहेर में किससे मिले
उनसे तो छूती महफिलें
हर शक्स तेरा नाम ले

हर शक्स दीवाना तेरा
कल चौदवी की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कल चौदवी की रात थी

कूंचे को तेरे छ्चोड़कर
जोगी ही बन जाए मगर
कूंचे को तेरे छ्चोड़कर
जोगी ही बन जाए मगर

जंगल तेरे, परबत तेरे
बस्ती तेरी, सहेरा तेरा
कल चौदवी की रात थी
बेदर्द सुन्नी हो तो चल

कहता है क्या अच्छि गाज़ल
बेदर्द सुन्नी हो तो चल
कहता है क्या अच्छि गाज़ल
आशिक़ तेरा, रुसवाँ तेरा

शायर तेरा, इंशा तेरा
कल चौदवी की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कल चौदवी की रात थी

में ना हिन्दू न मुसलमान


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में ना हिन्दू न मुसलमान मुझे जीने दो,
میں نا ھندو نہ مسلمان مجھےجینےدو
दोस्ती है मेरा इमान मुझे जीने दो.
دوستی ہے میراامان مجھےجینےدو

कोई एहसान न करो मुझपे तो एहसान होगा,
کوئی ئیہسان نہ کرو مجھپےتو ئیہسان ھوگا
सिर्फ इतना करो एहसान मुझे जीने दो.
سرپھاتنا کرو ئیہسان مجھےجینےدو

सबके दूख दर्द को अपना समझ के जीना,
سبکےدوکھ درد کو اپنا سمجھ کےجینا
बस यही है मेरा अरमान मुझे जीने दो
بس یہی ہے میرا اَرمان مجھےجینےدو
लोग होते हैं जो हैरान मेरे जीने से,
لوگ ھوتےہیں جو حیران میرےجینےسی
लोग होते रहे हैरान मुझे जीने दो.
لوگ ھوتےرہےحیران مجھےجینےدو
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Lyrics : Shahid Kabir
शायर : शाहिद कबीर
شایر : شاہد کبیر
Music : Talat Aziz
संगीत : तलत अज़ीज़
سنگیت : تلت اَجیج
Singer : Jagjit Singh
स्वर : जगजीत सिंग
سور : جگجیت سنگ

मौत ना आई





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रात गयी कर तारा तारा,
رات مندرجہ ذیل کر تارا تارا
होया दिल दा दर्द अधारा,
ہویا دل دا درد اَدھارا

आखा होइया हंजू हंजू,
آکھا ھوئیا ھنجو ھنجو
दिल दा शीशा परा परा,
دل دا شیشا پرا پرا

हूँ ता मेरे दो ही साथी,
ہوںتا میرےدو ھی ساتھی
एक होका एक हंजू खरा,
ئیک ھوکا ایک ھنجو کھرا

मरना चाहा मौत ना आई,
مرنا سایہ موت نا آئی
मौत वी मैनउ दे गयी लारा
مؤت وی میناُ دے مندرجہ ذیل لارا
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ਰਾਤ ਗਯੀ ਕਰ ਤਰਾ ਤਰਾ,
ਹੋਯ ਦਿਲ ਦਾ ਦਰਦ ਆਧਾਰਾ,

ਆਖਾ ਹੋਇਿਆ ਹੰਜੂ ਹੰਜੂ,
ਦਿਲ ਦਾ ਸ਼ੀਸ਼ਾ ਪਾੜਾ ਪਾੜਾ,

ਹੁਣ ਤਾ ਮੇਰੇ ਦੋ ਹੀ ਸਾਥੀ,
ਏਕ ਹੋਕਾ ਏਕ ਹੰਜੂ ਖੜਾ,

ਮਾਰਨਾ ਚਹਾਯਾ ਮੌਤ ਨਾ ਆਈ,
ਮੌਤ ਵੀ ਮੈਨੂ ਦੇ ਗਾਯੀ ਲਾਰਾ
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स्वर/संगीत : जगजीत सिंग
سور/سنگیت : جگجیت سنگ
ਸ੍ਵਰ/ਸੰਗੀਤ : ਜਗਜੀਤ ਸਿੰਘ

संया रूठ गये